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Bhavna Thaker

Tragedy

4  

Bhavna Thaker

Tragedy

किसको दिखाऊँ

किसको दिखाऊँ

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अंतस से उमसती अश्कों की झलकियां किसे दिखाऊँ,

जलते हुए ज्वालामुखी के प्रतिबिम्ब से अहसास की तिश्नगी

किसे दिखाऊँ।

 

धुम्मस घिरी रातों की तनहाइयां और दर्द के बुलबुलों से

सजा दिनरथ, गम की बस्ती सा मन भला किसको दिखाऊँ।

 

छोर कहाँ भीतर की विरानियों का, ज़िंदगी से किश्तों में मिले

कहर के मलबों का मजमा यहाँ किसको दिखाऊँ।

 

ढलता सूर्य हूँ गूँजित गान नहीं, हल्की चिंगारी हूँ भड़भड़ती

आग नहीं,

तम घिरा आख़री तेजपूँज किसको दिखाऊँ।

 

ठहरी सी झील हूँ, भरी नदियाँ लयमान नहीं,

उपेक्षित अधरों पर हलाहल से भरा समुन्दर किसको दिखाऊँ।


पथरीली राहें मेरी अंकुरित लकीर नहीं मृदु अंश की मोहताज रही

बबूल सा वितान महाकाय पड़ा किसको दिखाऊँ।



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