STORYMIRROR

Sunita Shukla

Abstract Inspirational

4  

Sunita Shukla

Abstract Inspirational

खुशियाँ लौट आयेंगी

खुशियाँ लौट आयेंगी

1 min
259

ये दिन भी बीत जायेंगे खुशियाँ लौट कर आयेंगी

अंधेरों से निकल कर चाँदनी फिर फैल जायेगी।

बदलियों में छुपे वो तारे गगन में टिमटिमाएंगे

उदासियों को छोड़ चेहरे फिर से मुस्कुरायेंगे।।

बाहर जो छाया सन्नाटा है

ये तो जीवन में आया ज्वार और भाटा है।

दिन बदलेंगे, महफिल होगी

बाग-बगीचे गुलशन होंगे।।

मौन पड़े इन झूलों पर

फिर से सावन लहराएगा।

फिसलपट्टी की सीढ़ी से मुस्कान चढ़ेगी चेहरों पर

और फिसलकर आ गिरेगी बच्चों की इस टोली में।।

छोटे-छोटे नन्हें कदमों की चाप सुनेंगे

खेल के इन मैदानों में।

रोशन होगा फिर से विद्यालय

और पलेगा भविष्य फिर से इसकी कक्षाओं में।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract