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Sunita Shukla

Abstract Inspirational

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Sunita Shukla

Abstract Inspirational

खुशियाँ लौट आयेंगी

खुशियाँ लौट आयेंगी

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ये दिन भी बीत जायेंगे खुशियाँ लौट कर आयेंगी

अंधेरों से निकल कर चाँदनी फिर फैल जायेगी।

बदलियों में छुपे वो तारे गगन में टिमटिमाएंगे

उदासियों को छोड़ चेहरे फिर से मुस्कुरायेंगे।।

बाहर जो छाया सन्नाटा है

ये तो जीवन में आया ज्वार और भाटा है।

दिन बदलेंगे, महफिल होगी

बाग-बगीचे गुलशन होंगे।।

मौन पड़े इन झूलों पर

फिर से सावन लहराएगा।

फिसलपट्टी की सीढ़ी से मुस्कान चढ़ेगी चेहरों पर

और फिसलकर आ गिरेगी बच्चों की इस टोली में।।

छोटे-छोटे नन्हें कदमों की चाप सुनेंगे

खेल के इन मैदानों में।

रोशन होगा फिर से विद्यालय

और पलेगा भविष्य फिर से इसकी कक्षाओं में।।


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