खुला आसमान
खुला आसमान
जीने का जो उत्साह बढ़ाये
फिर वही नये अरमान चाहिए।
पतंग को डोर जो ऊँची कर दे
फिर वही तेज़ बयार चाहिए।
पंछी की चहचहाहट सुना दे
फिर वही पेड़ों की डाली चाहिए।
बादलों की ओट में खेले धूप
फिर वही गगन विशाल चाहिए।
इंद्रधनुषी छटा जो बिखेरे
बरखा की झड़ी चाहिए।
बन कर मोती जो पत्तों पे विराजे
ओस की मला संगठित चाहिए।
तारों को जो मैं गिन सकूँ
रातों को वो चांदनी चाहिए।
चंदा मामा की जो सुनाएँ कहानी
फिर वही परियों की रानी चाहिए।
सांस ले सकूँ जो चमन में
फिर वही खुल आसमान चाहिए।
