खुदगर्जी
खुदगर्जी
मैंने हर रंग में मिलावट देखी है,
दिलों में गरमाहट
ऊपर से चमचमाहट देखी है,
कौन कहता गिरगिट ही रंग बदलते
बदलते इंसानों की हर आहट देखी हैl
मुनासिब नहीं किसी का प्रतिकार करना
मगर ऐसी खुदगर्जी देखी है,
जहाँ हर रिश्ते की नुमाइश बनाया जाता है,
गैरों को अपना और जन्मदाता को बेघर किया जाता है।