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सोनी गुप्ता

Abstract Romance

4  

सोनी गुप्ता

Abstract Romance

खत्म हुई कहानी

खत्म हुई कहानी

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तुम से ही शुरू हुई थी तुमसे ही खत्म हुई कहानी, 

तुम आज इतने दूर हुए बह रहा है आंखों से पानी, 


अनगिनत प्रश्नों के उत्तर कहाँ- कहाँ मैं ढूंढ रहा हूँ, 

आज लौटा रहा हूँ तुमको तुम्हारी हर वो निशानी I


जीवन में जो स्वप्न देखे आज सब धूल में मिल गए, 

जिंदगी ठहर गई गीत नीर बन अश्रुओं से ढल गए, 


जीवन में आगे बढ़ रहा पर कदम है मेरे थके- थके, 

जिंदगी की सांसे ठहर गई आंखों से आंसू बह गए I


वो जानी पहचानी राह आज अनजान सी लगती है, 

अब तो बसंत में भी फूलों की क्यारी कहाँ दिखती है, 


पंथ को बुहार रहा और स्वप्न को अपने संवार रहा हूँ, 

जिंदगी ठहर गई वो जीवन की बगिया कहाँ सजती है I


यादों में उनकी अब रह-रहकर आंखों से अश्रु बह रहे, 

जो फूल खिले थे डाली पर अब वो भी अपने ना रहे, 


तूने जो कुछ भी दिया आज सब कुछ तुझे सौंपता हूँ, 

इस भरी हुई महफिल में अकेला -अकेला ही रहता हूँI


अब कैसे जीया जाएगा इस आस के इस परिहास से, 

आज दिल ये मेरा रो रहा है , बस उनके ही उपहास से, 


इस प्रेम नगर में हमने अपना , बहुत कुछ खो दिया है, 

आशा के बाग लगाए थे, हमने जहाँ पर विश्वास से I



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