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Gurudeen Verma

Abstract

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Gurudeen Verma

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दुल्हन जब तुमको मैं अपनी

दुल्हन जब तुमको मैं अपनी

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दुल्हन जब तुमको मैं, अपनी बनाऊंगा।

चांद - सितारों से मैं, तुमको सजाऊंगा।।

बरसायेगी फूल तुम पर, यह धरती भी।

जब तेरी डोली को,मैं लेने आऊंगा।।

दुल्हन जब तुमको मैं------------------।।


पलभर का गुस्सा मेरा,दुश्मनी नहीं तुमसे।

लड़ता हूँ रोज चाहे, जिंदगी नहीं बिन तुमसे।।

देखकर मेरी चाहत, सखियाँ भी शर्मायेगी।

बारात जब मैं लेकर, तेरी दर पे आऊँगा।।

दुल्हन जब तुमको मैं-----------------------।।


तुम मुझसे रुठकर, दूर मत बैठो।

आकर करीब तुम, मेरे साथ बैठो।।

प्यार मेरा देखकर, कलियां भी शर्मायेगी।

जब मैं सिंदूर से, तेरी मांग सजाऊंगा।।

दुल्हन जब तुमको मैं-------------------।।


मेरा ख्वाब तू ही है, तू ही मेरी मंजिल है।

तू ही मेरी जान- खुशी, तू ही मेरा दिल है।।

 नगमें लिखेंगे सब, अपना प्यार याद कर।

ताजमहल तेरे लिए, जब मैं बनाऊंगा।।

दुल्हन जब तुमको मैं------------------।।


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