STORYMIRROR

Vandana Kumari

Abstract Inspirational

4.5  

Vandana Kumari

Abstract Inspirational

बेरोजगार

बेरोजगार

1 min
407


कौन है ये बेरोजगार ?

कोई समय की मार ?

किसी सोच की हार ?

क्यों मच रहा हाहाकार ?


भटकाव है ये युवा पीढ़ी का

ये प्रतीक है अकर्मठता का

इम्तिहान है संवेदनशीलता का

बेरोजगार कर्म से नहीं मन से बनता है


है हजारों अवसर पाने के रोजगार

सक्षम है हर युवा पाने को स्वरोजगार

है हर मनुष्य खुशहाली का हकदार

वक्त है कर्मठता को जाग्रत करने का

युवाओं में नई ऊर्जा संचालित करने का


यही वक्त की पुकार है

यही ज़र्रे ज़र्रे की ललकार है

उठो जागो लक्ष्य प्राप्ति तक मत रुको

कर्म करो कर्म करो

यही स्वामी विवकानंद का संदेश है


यही गीता का उपदेश है

यही पुकारता देश है

बेरोजगारी का आर्त क्रंदन अब समाप्त हो

प्रच्छन्न गुप्त हुनर का निवेश हो

रोजगार के अवसर आविर्भूत हो


विकास के चरम पर हो देश का नाम

जीत कर दिखाए हम ये जहान

बने सर्वोत्तम और देश को बनाए महान।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract