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Vandana Kumari

Tragedy

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Vandana Kumari

Tragedy

"क्या किसी ने मेरा देश देखा"

"क्या किसी ने मेरा देश देखा"

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ताक रही हूं कब से ढूंढ रही मै अनवरत

सच सच बताओ ए देशवासियों ,

क्या किसी ने मेरा देश देखा?

क्यों बोल रहे हो झूठ

अरे यह मेरा नहीं

वह तो स्वस्थ था वेद की वाणी से निर्मल था

यहां तो चारों तरफ हाहाकार है

सुनाई देती एक पुकार है

चहुं ओर लोग बीमार है

कोई पीड़ित अशिक्षा से

कोई पीड़ित निर्धनता से

कोई पीड़ित बेरोजगारी से

किसी की पीड़ा का कारण भ्रष्टाचार है

मूक क्यों बने बैठे हों 

सच सच बताओ ए देशवासियों 

क्या किसी ने मेरा देश देखा

ढूंढ रही हूं वो भारत जो विरासत था ऋषि मुनियों की

ढूंढ रही हूं वो भारत पढ़ा था वेद पुराणों में

जो कहलाता था विश्व गुरु

जिसका उपनाम था सोने की चिड़िया

वो वसुधैव कुटुंबकम् भाव वाला

खो गया है कहीं

ताक रही हूं कब से ढूंढ रही मै अनवरत

पलक पावडे बिछा रखे है राहों में स्वागत को

सच सच बताओ ए देशवासियों

क्या किसी ने मेरा देश देखा?


 


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