पैसा
पैसा


अब जबकि पैसा ही सब कुछ है
तो आओ चलो खेती करें पैसों की
उगाये पैसा, पेड़ लगाये पैसों के
मान लो अनाज की जगह उगने भी लगे पैसा
तो क्या फिर हम जी पाएंगे
क्या पैसा खाया जा सकता है
क्या पैसा भर सकता है पेट
निश्चित ही नहीं
तो फिर क्यों चारों तरफ केवल पैसा, पैसा, पैसा।