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V. Aaradhyaa

Abstract

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V. Aaradhyaa

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झूम कर आई होली

झूम कर आई होली

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बुरा न मानो होली है, खुशियों का आधार।

तान तमंचे भी है बजते, रंगों का त्योहार।।


जो खुद की करे बढ़ाई, समझो बंटाधार।

बोल गए संत महात्मा सात समुन्दर पार।।  

                        

चारो घाम इसी के चरणों, तनिक लगा दो रंग।

होली में अबीर संग झूमकर हो जाओ मलंग।।


रंग से भरी दुनिया बड़ी रंगीन नजर आती है।

भंग के मस्ती में चीज़ेँ दो से तीन नज़र आती है।।


फागुन में जब रंग ना खेले तब भला कैसी होली।

 हम भी रंग में सराबोर हो जाए आ जाओ री सहेली।।


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