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Devendraa Kumar mishra

Abstract

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Devendraa Kumar mishra

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भारी हकीकत

भारी हकीकत

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एक जवान होती लड़की 

जैसे देखती है ख्वाब कि सफेद घोड़े पर 

सवार आएगा कोई राजकुमार 


और ले जाएगा उसे बादलों के पार 

मैं भी देखता था कभी ऐसे स्वपन 

आसमान से कोई सुन्दर परी उतरेगी


और मुझे लेकर, उड़ जाएगी आसमान में 

अब तो हंसी आती है उन ख्यालों पर

किन्तु कितने उम्मीदों से भरे थे वे ख्याल 


अब तो सपने में भी नहीं देख सकते 

क्या करें, हकीकत इतनी भारी है 

झूठे सपने भी नहीं देखने देती।


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