अपनी जिंदगानी
अपनी जिंदगानी
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अपनी जिंदगानी है कभी आंखों में पानी तो कभी लबों पर हंसी है
लफ्ज़ लिखे जो एहसासों के बन जाती नई कहानी है
कभी बनती नासमझ तो कभी बड़ी सयानी है
खिल जाती हूं फूल सी तो अगले ही पल छाती मायूसी है
जीवन का हर एक पल लगता तूफानी है
खड़ी रही हमेशा राहों पर हार कभी न मानी है
था संघर्षों से भरा यह जीवन मुश्किल आनी जानी है
थाम हाथ आशा का हमने आगे बढ़ने की ठानी है।