होली
होली
कैसा यह होली का त्यौहार है
न मन में उमंग है
न तरंग है
फिर भी सब कहते हैं
होली का त्यौहार है
न होठों पर हंसी
न दिल में दिल में खुशी है
सब और छाई मायूसी है
न बात करता किसी से कोई
न दिल में कोई अरमान है
कैसा यह होली का त्यौहार है
रंगे हैं सब
अपने- अपने रंग में
खुशी है कोई दुखी है
नहीं फर्क पड़ता किसी को
कोई भी
सबका अपना
होली मनाने का
अलग ही अंदाज है
कैसा यह होली का त्यौहार है
बिखरे चहुं ओर
नफरत और घृणा के रंग है
फिर भी
यहां होठों पर मुस्कान है
कैसा यह होली का त्यौहार है
न खुशी का रंग है
न प्यार का गुलाल है
सब और दहशत का माहौल है
कैसा यह होली का त्यौहार है ?