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Vijay Kumari

Inspirational

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Vijay Kumari

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महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान

महान सम्राट पृथ्वीराज चौहान

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गुजरात की पावन 

धरा पर

पिता सोमेश्वर और 

माता कपूरा देवी के 

घर जन्म लिया 


नाम था उनका

 पृथ्वीराज चौहान

 था सब सम्राटों में जो 

योद्धा महान


 उनकी वीरता को 

सलाम करता था

 सारा जहान

 ऐसे थे महाराजा 


पृथ्वीराज चौहान 

300000 सैनिक 

और 300 हाथी थे 

जिसकी सेना की शान 

ऐसे थे 

भारत के महान 

सम्राट पृथ्वीराज चौहान 


जिन की वीरता के 

किस्से जानता था

 सारा जहान 

जिस से प्रभावित

 होकर जयचंद की बेटी

 संयोगिता ने उसे

 अपना लिया था मान 


जयचंद ने 

अपनी बेटी के लिए

 रखा स्वयंवर व अनुष्ठान

 बुलाए जिसमें

 दूर-दूर से राजा महाराजा


 परंतु नहीं बुलाकर 

 पृथ्वीराज चौहान को

 किया उनका घोर अपमान 

पृथ्वीराज चौहान

 स्वयंवर से घोड़े पर 

बिठाकर ले आए 

राजकुमारी संयोगिता को 


जिससे सब राजाओं ने 

समझा अपना अपमान 

जयचंद और अन्य 

राजाओं ने

 पृथ्वीराज चौहान से 

मन ही मन ली 

दुश्मनी ठान


 पृथ्वीराज चौहान ने 

मोहम्मद गौरी को सोलह बार था हराया 

परंतु सोलह बार 

मोहम्मद गौरी भागकर

अपनी जान बचा पाया


 1192 में जब दूसरा

 तराइन का युद्ध हुआ

 था पृथ्वीराज चौहान का 

सैन्य बल कमजोर हुआ 

पृथ्वीराज चौहान ने 

सब राजाओं से किया 

मदद का आह्वान 

परंतु किसी ने भी 

साथ न दिया


पृथ्वीराज चौहान का

 क्योंकि स्वयंवर

 के बाद राजाओं ने 

उसे अपना दुश्मन 

लिया था मान 

ऐसे में जयचंद ने 

मदद का

हाथ बढ़ाया


 भेड़ के भेष में 

खूंखार भेड़िया था आया 

पृथ्वीराज चौहान भी 

उसकी चाल को 

समझ न पाया जयचंद 

ने उसकी मदद 

करने को भेजी थी 


जो सेना

 उसी ने पृथ्वीराज चौहान 

की सेना को 

मार गिराया 

अंत में पृथ्वीराज चौहान

 और उसके मित्र 

चंद्रवरदाई को मुहम्मद गौरी

बंदी बनाया 


दी उसने

 पृथ्वीराज चौहान को 

घोर यातना 

उसकी आंखों को

फोड़ दिया

सजा था जब 

मुहम्मद गौरी का दरबार 

तैयार था वह 

पृथ्वीराज चौहान का 

करने को संहार


 ऐसे में उसके घनिष्ठ 

मित्र चंद्रवरदाई ने

उसको

 पृथ्वीराज चौहान की 

शब्दभेदी बाण

 चलाने की कुशलता से

परिचित कराया

 तब मोहम्मद गौरी ने 

था पृथ्वीराज चौहान का

 उपहास उड़ाया 

 अंधा क्या बाण चलाएगा ?


 फिर भी मुहम्मद गौरी ने

था एक प्रतियोगिता का 

आयोजन करवाया 

जिसमें चंद्रवरदाई

 के दोहों की

 सहायता से 


पृथ्वीराज चौहान ने 

 मुहम्मद गौरी के बैठने के

 स्थान का

 अनुमान लगाया

 और अपना

 शब्दभेदी बाण 

चलाकर था

मोहम्मद गौरी को 

मार गिराया 


दुश्मनों के हाथों न

मरेंगे कभी 

 इसलिए

 चंद्रवरदाई 

और पृथ्वीराज चौहान ने

 भी एक दूजे को 

खंजर से मार गिराया

 इस तरह भारत मां के 

वीर सपूत ने 

देश के लिए 

अपना बलिदान दिया


युगों युगों तक 

कभी न मिटने वाले

इतिहास का

निर्माण किया

ऐसे वीर महान 

सम्राट को

कोटि -कोटि प्रणाम 

युगों युगों तक 

याद रखेगा

तुम्हें ये हिंदुस्तान।


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