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Vijay Kumari

Abstract

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Vijay Kumari

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कविता

कविता

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भीड़ से निकल कर जो 

आगे बढ़ते हैं

 वे अपनी मंजिल को 

पा जाते हैं 

चलते हैं  

जो भीड़ में 

वो अक्सर 

गुम हो जाया करते हैं

 भीड़ से निकलकर 

जो आगे बढ़ते हैं 

वे अपने मंजिल को 

पा जाते हैं 

अकेले चलने से जो 

कतराते हैं

 वह भीड़ का रास्ता 

अपनाते हैं 

नहीं करते जो हिम्मत 

अकेले चलने की 

अक्सर खुद को 

भीड़ से   

घिरा हुआ ही पाते हैं-------



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