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Fardeen Ahmad

Drama

5.0  

Fardeen Ahmad

Drama

कहानी उम्र की !

कहानी उम्र की !

1 min
1.1K


देखो देखो कहानी आगे बढ़ रही है ना

स्क्रीन पर कोई मूवी जैसे चल रही ना

हम हैं और हमारे सपने हैं

इन्हीं के बीच ज़िन्दगी दोनों से लड़ रही है ना

चलो शुरुआत से देखते हैं...


नन्ही सी एक जान बिलख रही है ना

आहिस्ता आहिस्ता एक कली सी खिल रही है ना

ज़रा गौर फरमाइए, ये दौर तो 'बचपन' का है

खेल कूद के साथ किताब भी मिल रही है ना।


दुनिया इन्हें अनाड़ी और नादान जान रही है ना

बचपन की नहीं पचपन (55) की सोच माँग रही है ना

अमा मियाँ, इन्हें ज़रा हमदर्दी और हिमायत चाहिए

फ़िर देखिये, ये पीढ़ी आपका सीना तान रही है ना।


और आगे चलिए, कुछ 'जवानी' सी दिख रही है ना

ज़िन्दगी ज़िंदगी नहीं, एक दौड़ सी लग रही है ना

कौन आगे है, कौन पीछे हैं कोई अंदाज़ा नहीं

इस मुक़ाबले के हर क़दम पर एक हार मिल रही है ना।


जवानी गई 'बुढ़ापा' आया, अब मौत तो झलक रही है ना

पूरी ज़िन्दगी लगाई दौड़ अब कसक रही है ना

सपने कुछ और थे, भागे कहीं और थे

हम जी कहा रहें, वो तो बस कट रही है ना।।


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