ज़िन्दगी का सफ़र
ज़िन्दगी का सफ़र
ज़िन्दगी का सफर एक धुंआ सा है
इसी सफ़र में कहीं एक कुआँ सा है
न इसमें कोई जीत है और न कोई है हारता
ये खेल भी तो एक जुआ सा है।
भागते रहने की सलाह सदा दी जाती है
एक मौत ही तो है जो बड़ा सताती है
बिना सोचे समझे चलते हैं हम इस सफर में
यही वजह तो है जो आखिर में बड़ा रुलाती है
सिर्फ अपनी ही जीत पर फोकस करना
हार की डर से किसी और की मदद न करना
इसी में तो सुधार ला रहे हैं हम
सफर में दौड़ लगा कर दूसरों को पीछे करना
कहाँ खोता जा रहा है वो आपसी मेल
अपने ही परिवार को जैसे हम रहें झेल
इतना बदलाव आखिर किस वजह का है नतीजा
कि आज हम रिश्तों के साथ रहें हैं खेल
मेरे ख्याल से हम कुछ भूल रहे हैं
परवरिश नही जैसे हर्जाना वसूल रहे हैं
सीख अगर इंसानियत रहे होते बच्चे हमारे
तो दुनिया ऐसी न होती आज
अच्छाई और बुराई के बीच बस हम झूल रहे हैं।