काम और इश्क़
काम और इश्क़
बीते कुछ दिन खास थे
ना कोई ताम-झाम थे
दुख और सुख दोनो में
परिवार वाले साथ थे।
घर बैठ कर पता चला
कि काम की अहमियत क्या होती है
रिश्ता टूटा तो मालूम हुआ
की प्यार की कीमत क्या होती है।
यूँ ही सोच लिया करते थे
कि काम से छुटकारा कब मिलेगा
छूट गया तो खयाल आया
कि अब काम दोबारा कब मिलेगा।
यूँ ही लड़ लिया करते थे इश्क़ से
लगता था की अब नही चलेगा
आखिरी वक़्त हम दोनो साथ ही थे
पर अब ये दिल प्यार करने से डरेगा।
महसूस नही कर पाते हम
जब पास होती है इश्क़ और काम की ज़ीनत
जो ये दूर हो जाती हैं हमसे
तभी मालूम पड़ती है इनकीं असली कीमत।