STORYMIRROR

Fardeen Ahmad

Abstract Tragedy Inspirational

4.0  

Fardeen Ahmad

Abstract Tragedy Inspirational

इंसानियत

इंसानियत

1 min
316


ये जो सन्नाटा सा पसरा है शहरों में

इनकी क्या तुलना समंदर की लहरों से

इस सन्नाटे में भी नफरतों का शोर

हमें लेके जा रहा किस तरफ किस ओर।


लहरों के शोर में भी एक सुकून सा है

शहरों में पता नहीं क्यों एक जुनून सा है

कितनी ईमानदारी से बहते हैं ये साहिल पे

और लोग बर्ताव किये जा रहें हैं जाहिल से।


इतनी नफ़रत से तो न होने वाली किसी की भलाई

जो काम न आ सके किसी जरूरतमंद के

बेकार है ऐसी हर एक कमाई।

अगर इंसानियत की होती ज़रा सी पढ़ाई 

तो रास न आती हैवानियत की ऐसी लड़ाई।


इंसान पैसे से नहीं लोगों की

मोहब्बत की कमी से ग़रीब होता है

एक दूसरे के दर्द समझ लेने से ही इंसान

इंसान के करीब होता है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract