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Archana Saxena

Tragedy

4.5  

Archana Saxena

Tragedy

कहाँ गया वो भोलापन

कहाँ गया वो भोलापन

1 min
257


मासूमियत को कहाँ छोड़ आए

समय से भी पहले बड़े क्यों हुए हो

दुनिया ने कैसा समय है दिखाया

भोलापन अपना जो तुम खो चुके हो


कयामत ही बनकर आया कोरोना

माँ बाप दोनों को तुमसे जो छीना

कंधो के बस्ते को आले में रखकर

किसी बेबसी से पड़ा तुमको जीना


वात्सल्य पिता का उठा तेरे सिर से

ममता भी माँ की पड़ी तुमको खोना

आँखों के आँसू भी कब के हैं सूखे

दिल को मगर रात दिन अब है रोना


प्यारी सी मुस्कान अधर पर सजाए

दिन भर गली में तुम थे उछलते

नुक्कड़ की रौनक भी तुमसे ही तो थी

कितनी जिदें थीं, तुम हरदम मचलते


पत्थर हुई अब तो आँखें तुम्हारी

संग में ये दिल भी तो पत्थर हुआ है

जो प्यार बहता था तेरी रगों में

वह प्यार दिल से हुआ अब जुदा है


होती नहीं अब आँखें कभी नम

खून के आँसू पिए जा रहे हो

भगवन न ऐसा किसी को दिखाना

समय बेबसी से जिए जा रहे हो।


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