कहाँ गया वो भोलापन
कहाँ गया वो भोलापन
मासूमियत को कहाँ छोड़ आए
समय से भी पहले बड़े क्यों हुए हो
दुनिया ने कैसा समय है दिखाया
भोलापन अपना जो तुम खो चुके हो
कयामत ही बनकर आया कोरोना
माँ बाप दोनों को तुमसे जो छीना
कंधो के बस्ते को आले में रखकर
किसी बेबसी से पड़ा तुमको जीना
वात्सल्य पिता का उठा तेरे सिर से
ममता भी माँ की पड़ी तुमको खोना
आँखों के आँसू भी कब के हैं सूखे
दिल को मगर रात दिन अब है रोना
प्यारी सी मुस्कान अधर पर सजाए
दिन भर गली में तुम थे उछलते
नुक्कड़ की रौनक भी तुमसे ही तो थी
कितनी जिदें थीं, तुम हरदम मचलते
पत्थर हुई अब तो आँखें तुम्हारी
संग में ये दिल भी तो पत्थर हुआ है
जो प्यार बहता था तेरी रगों में
वह प्यार दिल से हुआ अब जुदा है
होती नहीं अब आँखें कभी नम
खून के आँसू पिए जा रहे हो
भगवन न ऐसा किसी को दिखाना
समय बेबसी से जिए जा रहे हो।