खामोश लब
खामोश लब
जाने कितनी ही बातें की
खामोश लबों ने तेरी
सन्नाटे को आवाज़ मिली
शोख नज़र से तेरी
लब कह न पाई कुछ उस दिन
नज़रों ने सब समझाया
वो एक इशारा उल्फत का
उन मुस्कानों ने जताया
सुनकर उनकी ख़ामोशी को
एक शोर मचा है दिल में
इक हलचल ने दस्तक दी है
चितचोर बसा है दिल में
अब चैन कहां से मिले मुझे
कैसे दिल को समझाऊं
अच्छी लगती तन्हाई अब
हर जगह तुझे ही पाऊं
मेरी हालत तो ऐसी है
बस दे दो एक दिलासा
क्या तुम भी सुन पाए थे मेरी
खामोश लबों की भाषा?