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Shailendra Kumar Shukla

Tragedy

4.0  

Shailendra Kumar Shukla

Tragedy

कभी मिलकर तुम्हे बतायेंगे

कभी मिलकर तुम्हे बतायेंगे

1 min
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कभी मिलकर तुम्हे बतायेंगे,

कब से हैं बेकरार हम 

तेरे ही इंतेजार में हम 

चेहरा कहाँ छुपाते हो 

मसला क्यूँ बनाते हो 

सबको पता है कौन हो 

किसको पता है मौन हो 

माना कि तुम मगरूर हो 

जाना कि नहीं दूर हो 

एक दिन वो तो आयेगा 

दिल भी साफ हो जायेगा 

तब तुम ठहर जाओगे 

मेरे ही पास आओगे 

दिल खोलकर सतायेंगे 

मिलकर तुम्हे बतायेंगे !


जो भी तुम्हारे पास है 

वो सिर्फ एक सौगात है 

बस कुछ समय की बात है 

ना दिन है य़ा ना रात है 

ऐसे चले जाओगे तुम 

कुछ भी ना रख पाओगे तुम 

उस लोक मे गर तुम मिले 

मिलकर तुम्हे बतायेंगे 

कभी देख लो इस लोक में 

जो जुल्म करते ही रहे 

खोया य़ा पाया किस तरह 

कभी मिलकर तुम्हे बतायेंगे !!


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