STORYMIRROR

अमित प्रेमशंकर

Drama

2  

अमित प्रेमशंकर

Drama

कभी दूर ना जाना भाई

कभी दूर ना जाना भाई

1 min
178

छोड़ के आंसू चल पड़े

अब छोड़ गए परछाई

रूठ गया जमाना देखो

तू रूठना ना कभी भाई।


बाजेंगे तेरे जीवन में

कभी ढोल कभी शहनाई

खुशियों का सेहरा पहन

कहीं भूल ना जाना भाई।


तू ही मेरा भरत दुलारा

तू ही लक्ष्मण भाई

मुझ बेसहारे को छोड़कर

कभी दूर न जाना भाई।


दिल को कागज बना लिया

ये आंसू बनी स्याही

गश खाकर अब गिर पड़ता हूं

उंगली थाम ले भाई।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama