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कैसी सर्दी

कैसी सर्दी

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कार्यालय में फोन घनघनाया

पत्नी का फोन सुन घबराया

बाहर मौसम गुर्राया

शीतऋतु ने कहर बरपाया।


भूले अपना स्वेटर घर पर

कहा रह गए इतनी देर तक

जवाब न सुझा सकपकाया

कार्यालय में ताला लटकाया।


बाहर निकला तो बदन अकड़ाया

सड़क का नज़ारा देख मन घबराया

फुटपाथ पर बैठा नन्हा जीवन

हाथों को सेक मुस्कुराया।


न छत कहीं दिखी,

न दीवार का है साया

न कम्बल का निशा तक नज़र आया

सुविधाओं में जीता आया।


असुविधा का अहसास न कर पाया

ठंड ने कैसा जुल्म ढ़हाया

फुटपाथ पर सोता परिवार नज़र आया।।


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