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उड़न खटोला

उड़न खटोला

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ठंडी चलती मदमस्त हवा

रूमानी इस मौसम में न हो खफा

मेरा आँचल सतरंगी बना

हाथ उठाऊँ जग गवाह बना।


मेरी सपनों में कैनवास भरा

रंगीली वादियों ने उसमे रंग भरा

रुई का बिछोना बादल बना

हवा में उड़ता गगन को चला।


उड़न खटोला पार ले चला

हाथ न आऊँ किसी के अब

तेरा पीछा करते चला

ज़मी पर पाव अब टिकता नहीं।


बादलों के पार घर जो ठहरा।


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