ढाई आखर प्रेम का
ढाई आखर प्रेम का
रिश्ता जन्म से मात पिता का
खून का सम्बन्ध मांगे वचन
रिश्ता जन्म से नातेदार का
सामाज से जुड़ने का आधार।
प्रेम सम्बन्ध जुडे मन से
चुने जिसे ईश्वर की रज़ा से
साथ निभाते इस जन्म का
वादा मगर सात जन्म का।
साथ निभाए एक दूसरे का
सुख दुख के बने साथी
गम की दिवार जब सामने आए
साथ मिलकर उसे ढहाए।
दो परिवारों में सेतु बनकर
खूबसूरत कुनबा बनाए
सपना देखे जब एक साथी
दूजा उसे साकार बनाए।
एक कोरे पन्ने पर
ढाई आखर प्रेम का बनाए।