...कैसे न एहसास लिखूं !
...कैसे न एहसास लिखूं !
लम्हा-लम्हा खोया है ..
बस, एक उस पल को जीने को ,
..तो बोलो..कैसे न जज्बात लिखूं !!
दूर होकर भी..
छू जाते हो मन को ,
..तो बोलो..कैसे न एहसास लिखूं !!
अकसर जीती हूं लहरों को
मैं कागज़ की नावों से ,
तो बोलो कैसे न बरसात लिखूं !!

