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Brijlala Rohan

Romance

4.4  

Brijlala Rohan

Romance

काश! तुम और मैं

काश! तुम और मैं

1 min
416


काश! तुम खुशबू होती मैं समीर होता ,

मुझमें घुल कर तुम फिजां को सौरभमय बना देती !

काश! तुम नटखट कली होती मैं छिछोरा भँवरा होता ,

तुम हर पल मुझे अपने पास मँडराते हुए पाती !

काश ! तुम मिश्री होती मैं दूध होता,

मुझमें घुल कर तुम मेरी मिठास बन जाती !

काश! तुम वर्षा होती मैं बादल होता ,

एक- दूसरे के बिना हमारा अस्तित्व न रह पाता !

काश! तुम ऑक्सीजन होती मैं हाइड्रोजन होता ,

तब तुम प्राणवायु होती मैं ज्वलनशील होता !

पर एक- दूसरे से मिलकर हम शीतल जल बन जाते ।

प्यासे लोगों की जीवन की हम प्यास बुझाते।

काश! तुम आसमां बन जाती मैं पंछी बन जाता ,

हरपल तेरी बाँहों में ही मैं रोज बिताता ।

काश!तुम धूप का टुकड़ा बन जाती मैं पेड़ की पत्ती बन जाता ,

मुझमे तुम इस कदर समा जाती कि दुनिया वाले फिर हमें खोज न पाते !

काश ! तुम स्याही बन जाती मैं कलम बन जाता ,

मुझसे उतरकर मेरी जिंदगी के पन्नों पे उकर आती !

काश! तुम संगीत बन जाती मैं सरगम बन जाता ,

मेरे कंठों से उतरकर तुम मेरा अमर गान बन जाती ।

काश! इस वक्त तुम मेरी बाँहों में होती मैं तेरी बिखरे जुल्फों को सँभाल रहा होता ।

तेरी लबों पे मैं अपनी लबों से अपनी अमर कहानी बना रहा होता ।।

 



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