काश! मैं
काश! मैं
काश!! मैं तेरे हाथ की,
लकीर बन पाता,
काश!! मै तेरा मुकद्दर,
तेरी तकदीर बन पाता,।
काश! तुम्हे इतने चाह पाता ,
की तुम सब कुछ भूल जाते ,
काश! मै तेरा मुकद्दर और,
तेरी तकदीर बन पाता,।
काश! तुम्हे इतने चाह पाता ,
की तुम सब कुछ भूल जाते ,
तुम्हारी आंखों में मैं ही मैं,बस जाता ,
हर तस्वीर में मैं ही नजर आता,।
काश! मैं तुम्हारे हर ख्वाब की ,
ताबीर बन पाता,
तुम्हारे हर राहे मुश्किल की ,
तदबीर बन पाता,।