STORYMIRROR

Jyoti Naresh Bhavnani

Fantasy

4  

Jyoti Naresh Bhavnani

Fantasy

काश! ऐसा कोई दर्पण हो

काश! ऐसा कोई दर्पण हो

1 min
259

मुखौटे के पीछे चढ़ा मुखौटा,

अगर ज़ाहिर हो तो कैसा हो !

दिखा दे इंसान का जो असली चेहरा,

काश ! ऐसा कोई तो दर्पण हो।


दिल टूट जाए इसके पहले ही,

अगर ख़बर लग जाए तो कैसा हो !

मिटा दे जो हर भ्रम इंसान का,

काश ! ऐसा कोई तो दर्पण हो।


झूठ के पीछे छुपा सच जो,

दिख जाए तो कैसा हो !

मन में छुपे भावों को जो दिखा दे,

काश ! ऐसा कोई तो दर्पण हो।


गिरने से पहले ही जो संभाल ले,

काश ऐसा कोई तो सहारा हो !

गिराने वाले की असलियत दिखा दे,

काश ! ऐसा कोई तो दर्पण हो।


हर सवाल को जो सुलझा दे,

कोई तो ऐसा हाज़िर जवाब हो !

हर उलझन में जो राह दिखाए,

काश ! ऐसा कोई दर्पण तो हो।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Fantasy