काश... ऐसा हो जाता
काश... ऐसा हो जाता
कोई अपनी अच्छी किस्मत लिखवा कर आता है,
और कोई भाग्य की रेखाओं से ही वंचित रह जाता है।
किसी के घर दो वक़्त की रोटी भी नहीं होती,
और कोई पानी की तरह पैसा बहाता है।
किसी की संतान भूख से मर जाती है,
और कोई संतान की भूख से मर जाता है,
कोई पैसों की कमी से पढ़ नहीं पाता,
और कोई पैसों के बल पर पहचान खड़ी कर जाता है।
कोई अच्छे कर्म कर भी ठोकरे खाता है,
और कोई बुरे कर्मों से
अपनी ज़िन्दगी स्वर्ग बनाता है।
आख़िर ऐसा क्यों होता है?
काश कि ऐसा हो जाता
जो सही होता सिर्फ वही संभव हो पाता।
हर किसी को जीने का मकसद मिल जाता,
हर कोई बस अपनी ज़िन्दगी बनाता,
ना पैसे की माया होती,
ना ये अपने रंग दिखाता।
ना कोई अपनी किस्मत को दोषी ठहराता,
ना कोई किसी पर हक़ जामाता,
जो जितनी मेहनत करता उतना ही फल पाता
और जो गलत रास्ता अपनाता
उसका जीवन नष्ट हो जाता।
काश कि ऐसा हो जाता
जो सही होता बस वही संभव हो पाता।