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Raja Singh

Tragedy

5.0  

Raja Singh

Tragedy

कापुरुष

कापुरुष

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मैं अक्सर

कुछ न कह पाता हूँ

न कर पाता हूँ।

मैं तब भी

कुछ नहीं कह पाया था

जब मेरे बाप ने

मेरी प्रेमिका को वैश्या कहा था,


और मेरे शरीर का लहू

पोरों में उतर आया था

बाप का गला टीप देने के लिए

मगर मैं ऐसा न कर सका,

रह गया था सिर्फ खून का घूंट पीकर।


मैं तब भी

कुछ न कह पाया था

जब मेरी प्रेमिका ने कहा था

तुम अपने बाप के प्रति

कुत्ते जैसे वफादार हो

और मेरे लिए नामर्द के अवतार,

सिर्फ बेबसी से –

एकांत में आकर

जार जार रोया था।


मैं तब भी

 कुछ नहीं कर पाया था

जब मेरे बाप ने

मेरे से आठ साल बड़ी औरत से

मेरी शादी कर दी,


अपनी झूठी शान और

असली पैसों के लालच में,

सिर्फ बलि के बकरे की तरह

जिबह हो गया था

और मैं अब भी

कुछ नहीं कर पाता हूँ,

जब मेरे बच्चे अधनंगे होकर

अंग्रेजी धुन पर

कमर मटकाते हैं, साथ में

बूड्ढ़े का दिमाग फिर गया है ,

कहकर घुड़की देते हैं,


मैं उन्हें सिर्फ

टुकुर टुकुर ताकता रह जाता हूँ।


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