chandraprabha kumar

Fantasy Inspirational

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chandraprabha kumar

Fantasy Inspirational

काम है बहुत

काम है बहुत

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 काम है बहुत,

 सोना है कम,

पर दिन बीत रहे 

आलस्य में ,

अकर्मण्यता में ,

कब जागरण होगा 

कब सपने पूरे होंगे ?

कुछ पता नहीं।


या अधूरे सपनों से ही

यह जग छोड़ देना होगा?

लिखना है बहुत

कितनी महत्वाकांक्षाएं

कितनी इच्छाएँ

कितनी तमन्नाएँ

क्या अधूरी रहने के लिए हैं ?

क्या संतुष्टि न मिलेगी ?


क्या मनोरथ 

पूर्ण नहीं होंगे ?

यह नैराश्य क्यों 

कब तक 

यह दिशाहीनता क्यों 

कब तक ?

क्यों नहीं सफलता मिलती 

क्यों नहीं कर्मठता जगती ?


यह मन 

कितने विचार 

कितनी कितने आकांक्षाएँ

कहाँ कहाँ उड़ान भरता है 

क्या क्या सोचता है, 

क्या क्या सपने देखता है

क्या क्या मंसूबे बाँधता है 

क्या सब पूरे होते हैं ?


क्या सपने अपने आप पूरे होंगे ?

परिश्रम तो करना होगा

जीवन तो नियमित करना होगा,

संकल्प लेने होंगे

नियम से चलना होगा,

तभी आशाएँ

 सफलीभूत होंगी,

तभी स्वप्न साकार होंगे।


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