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Supriya shanu

Tragedy

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Supriya shanu

Tragedy

ज्यादा खुश नज़र आता है

ज्यादा खुश नज़र आता है

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जब कोई ज्यादा खुश नजर आता है

वो अंदर से बिखरता हुआ नजर आता है


चीज़े एक बार बिखरने पर संभल जाती है

मगर इंसान अगर टूट जाए अशांत नज़र आता है


जमाने भर को वो जैसा दिख रहा होता है

भीतर उतना ही ज्यादा तूफान लिए होता है


किसको बताए वो अपने मन की व्यथा को

अंदर कितना चीख चीख कर रोता है 


कोई नहीं समझने वाला इस जहाँ में 

हमारा ही दर्द हमे ही सहना इस जहाँ में


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