कभी ऐसा भी तो हो
कभी ऐसा भी तो हो
मेरा भी कोई हाल बयाँ तो हो
कोई झूठ ही पूँछे तो सही
कोई साथ बैठकर चाय पिये तो सही
कुछ मेरे पुराने किस्से सुने तो सही
कभी ऐसा भी तो हो
जब चलने लगे पुरवाई
हो जाये मौसम रंगीन कभी
जब बैठो नदी किनारे तुम
देखो तैरते पानी मे मेरी परछाई
कभी ऐसा भी तो हो
जब ठण्डी हवा के झोंके
तेरे बदन को स्पर्श करें
जो तुम उसमे आह भरो
कभी नाम मेरा भी लिया करो
कभी ऐसा भी तो हो।