ख्यालों से आज़ाद
ख्यालों से आज़ाद
तुम अपने ख्यालों से आज़ाद कर दो
सुनो अब तुम मुझे रिहा कर दो
तुम क्यूँ आते हो रात के ख्वाबों में
सुनो तुम उन ख्वाबों से निर्वाण कर दो
हम दोनों के दरमियाँ कोई रिश्ता भी नही
सुनो तुम इन अदृश्य जंजीरों से परमपद कर दो
एहसासों का मोल बहुत मतलबी रिश्तों से
सुनो तुम इन संवेदनाओं से मुक्त कर दो
जब चल रही अकेली अपने ज़िन्दगी के सफर पर
सुनो तुम मेरी परछाई से अपवर्ग कर दो।