ज़्यादा ज़रूरी क्या!
ज़्यादा ज़रूरी क्या!
ज़्यादा ज़रूरी क्या है......................
किसी के जनाज़े में जाने के लिए वक़्त निकालने से ज़्यादा ज़रूरी है कि उस इंसान की ज़िंदगी में उसे वक़्त दिया जाए।
किसी की मय्यत को सहारा देने से ज़्यादा ज़रूरी है कि उस इंसान को जीते जी सहारे की कमी न महसूस होने दी जाए
किसी की कब्र पर फूल चढ़ाने से ज़्यादा ज़रूरी है उसकी जिंदगी में उसे फूल देकर खुशी दी जाए।
किसी की मौत के बाद तारीफें करने से ज़्यादा ज़रूरी है कि उसकी जिंदगी में उसकी तारीफ करके हौसला अफ़ज़ाई करी जाए।
किसी के दूर जाने के बाद उसकी कीमत को समझने से ज़्यादा ज़रू
री उसके पास होते हुए उसकी कीमत का एहसास करा जाए।
किसी की मौत पर मातम मनाने से ज़्यादा ज़रूरी उस इंसान के साथ खुशियों की यादें बनाना है।
किसी कि मौत के बाद उसके नाम से भूखों को खाना खिलाने से ज़्यादा ज़रूरी है कि उसको भूखा न मारने को छोड़ा जाए।
किसी की मौत के बाद उसकी तस्वीर लगाने से ज़्यादा ज़रूरी है कि उसकी तस्वीरों का हिस्सा बना जाए।
किसी की मौत पर उसके लिए आंसू बहाने से ज़्यादा ज़रूरी है कि उसकी आँखों में आँसू आने का कारण न बना जाए।
इसलिए ज़रूरी है कि अपनों के लिए वक़्त निकालें इससे पहले कि वक़्त निकल जाए।