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Zeba Khan

Others Children

4.0  

Zeba Khan

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प्रकृति के रुप

प्रकृति के रुप

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बाघों में फूलों की महक,

तोते और मैनों की चहक।

दूर तलक फैले हैं खेत,

सहरा की है लम्बी रेत।

आसमां में शीतल चांद,

कहीं ऊंचे ऊंचे हैं बांध।

नदियों के जल की कल कल,

झरनों से बहता अविरल जल।

लहरों का उठता है शोर,

हरियाली फैली चहुं ओर।

जंगलों के हैं झाड़,

ऊंचे ऊंचे हैं पहाड़।

रातों में तारों की चमक,

दिन में होती सूरज की दमक।

आसमां में छाए बादल,

फसलें भी फैलाए आंचल।

प्रकृति का है सुन्दर रूप,

कहीं गहरे बादल कहीं फैली धूप।


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