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Zeba Khan

Tragedy

3  

Zeba Khan

Tragedy

नज़रंदाज़

नज़रंदाज़

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जो लोग हमको नज़रअन्दाज़ करके खुश हैं उन्हें खुश ही रहने देते हैं।

क्यों ऐसे लोगों के लिए अपने कीमती आँसुओं को हम बहने देते हैं ।


जब पड़ेगी उन्हें सच्चे दोस्त की ज़रूरत।

तब ज़रूर याद आएगी इस मुख़लिस दोस्त की सूरत।


कभी तो उन्हें मेरी कमी का भी एहसास होगा ।

जब नहीं कोई दिल से दोस्त मानने वाला उनके पास होगा ।


रह लेने दो उन्हें अपनी दुनिया में मगन।

बहेंगे आँसू उनके भी जब हम छोड़ जायेंगे ये धरती और गगन।



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