नज़रंदाज़
नज़रंदाज़
जो लोग हमको नज़रअन्दाज़ करके खुश हैं उन्हें खुश ही रहने देते हैं।
क्यों ऐसे लोगों के लिए अपने कीमती आँसुओं को हम बहने देते हैं ।
जब पड़ेगी उन्हें सच्चे दोस्त की ज़रूरत।
तब ज़रूर याद आएगी इस मुख़लिस दोस्त की सूरत।
कभी तो उन्हें मेरी कमी का भी एहसास होगा ।
जब नहीं कोई दिल से दोस्त मानने वाला उनके पास होगा ।
रह लेने दो उन्हें अपनी दुनिया में मगन।
बहेंगे आँसू उनके भी जब हम छोड़ जायेंगे ये धरती और गगन।