जय हो आपकी,प्रभु जन्मदग्नि नंदन
श्री हरि के ही रूप का आप हो चंदन
अहंकारियों का मिटाने अहम अंजन
आपने लिया,श्री हरि अवतार षष्ठम
दुनिया कहती है,आपको परशुराम
अधर्म का तुरंत क्रोध से करते,दमन
सहस्त्रार्जुन की भुजा और धड़ का,
आपने ही किया था,प्रभु आच्छेदन
21 बार अहंकारी राजाओं के,उस
भार से धरती मां का मिटाया क्रंदन
शिव जी ने दिया है,आपको परसा
आप बने परसुराम शुभ गुण सम्पन्न
वीरता में नही कोई बराबर सज्जन
अनेको बार निभाया सत्य वचन
भीष्म पितामह,द्रोण,कर्ण के गुरु
सदा धर्म की लिए किया,परिश्रम
आपका जन्मोत्सव मना रहा जग
फूलों से कर रहा,जग आपका वंदन
7 चिरंजीवीयों में है,जन्मदग्नि नंदन
चिरंजीवी,प्रभु काटो मेरे भी भव बंधन
जैसे शूलों में खिलता है,कोई सुमन
वैसी मेरी भी स्थिति कर दो,भगवन
दिल से विजय
विजय कुमार पाराशर-"साखी"