जो समझे गर न समझा
जो समझे गर न समझा
वो समझ ही क्या, जो वजह ए शर न समझा
बड़ा ना समझ सा है, जो समझ कर न समझा
वोह जो भी समझे है, मेहरबानी है उनकी
आतिश ओ सोला, बर्क ओ शरर न समझा
एक दिल ही तो है, जो चाक हुआ फिरता है
वो बखिया गरी क्या जो बख़िया गर न समझा
होश भी बे होश कर गया, हुस्न ए होश रूबा
जो निगाह ए नाज़ ओ फुसूँ, बा असर न समझा
समझदारी में है समझ जो ना समझे ना समझ
समझाए क्या 'हसन', जो समझे गर न समझा
वजह ए शर ( झगड़े फसाद की वजह )
बर्क ओ शरर ( बिजली और चिंगारी )
बखिया गरी ( सिलाई )
बख़िया गर ( सिलने वाला, दर्जी, रफू गर )
फुसूँ ( जादू )