मैं एक शिक्षका जीवन से जीवन की भाव और अनुभूतियों के पन्नों से बीन कर शब्दों के मोती अहसास के धागों में जीवन के कुछ पल पिरोती हूँ। हृदय की जमींन पर अनुभूतियों का फूल खिलाती हूँ
माँ है तो थाली की गरम रोटी है, स्वाद है, जायका है, माँ है तो मायका है। माँ है तो थाली की गरम रोटी है, स्वाद है, जायका है, माँ है तो मायका है।
आज उसके मस्तिष्क से अपराधबोध का बोझ भी उतर चुका था। आज उसके मस्तिष्क से अपराधबोध का बोझ भी उतर चुका था।
वह अपने दर्द को बयाँ कर हँसते हुए चल दी जैसे कुछ हुआ ही न हो। वह अपने दर्द को बयाँ कर हँसते हुए चल दी जैसे कुछ हुआ ही न हो।