Dr Bandana Pandey

Children Stories Inspirational Children

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सुबह का भूला

सुबह का भूला

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सुबह का भूलाचिंटू ने जल्दी जल्दी नास्ता किया, और स्कूल की ओर भागा। राधा उसे दही हल्दी का टीका लगाने के लिए आवाज देती रह गई पर उसके कानों में आज परीक्षा की घंटी के सिवा कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था। वह जल्दी से जल्दी विद्यालय पहुँचकर दोस्तों से पूछना चाहता था कि उन्होंने कितनी पढ़ाई की है। उसे अपने ऊपर खीझ भी आ रही थी। वह सोच रहा था काश! उसने समय पर अपना काम किया होता तो आज इतना डर नहीं लगता। उसे याद आ रहा था वह दिन जब मम्मी पापा ने अपनी कितनी सारी जरूरतों को नजरअंदाज करते हुए उसके लिए मोबाईल खरीदा था। लॉकडाऊन के दौरान जब सभी दुकानें बंद थीं तब पापा ने अपने खूसट बॉस जिनके ऑफिस में वह दरबान की नौकरी करता था उनकी पैरवी से एक दुकान में पीछे के रास्ते से खरीद कर फोन दिया था। आखिर चिंटू होनहार बच्चा जो था। गुरूजी हमेशा कहते चिंटू एक दिन अपने माता-पिता के साथ-साथ विद्यालय का नाम भी रौशन करेगा।   मम्मी से कहते सुना था उसने कि चिंटू की पढ़ाई से महत्त्वपूर्ण हमारे लिए कुछ भी नहीं। मोबाईल हाथ में आते ही चिंटू के मन का लालच जाग उठा।

उसने सोचा एकबार पबजी देख लेता हूँ, देख लेने भर से कौन सी आफत आ जाएगी। और उसने पहला खेल खेला। अंक मिले और लालच बढ़ा, बढ़ता गया अब वह इस खेल का बादशाह था। यूट्यूब, फेसबुक, गूगल और न जाने कितने ऐप और कितने मजे!!!!  इन सबके बीच पढ़ाई कब कहाँ रह गई पता ही नहीं चला और आज अचानक दोस्तों से पता चला कि परीक्षा देने जाना है। चिंटू को अब खुद से ज्यादा दोस्तों पर गुस्सा आ रहा था कुछ दिन पहले नहीं बता सकते थे।सोचते सोचते वह रूँआसा हो गया। उसे लग रहा था कि अब सभी जान जाएँगे कि उसने मोबाईल से पढ़ाई को छोड़कर अन्य सारे काम लिए हैं। मम्मी पापा को समझाना बहुत मुश्किल भी नहीं था बेचारे अनपढ़ जो ठहरे। 

सोचते-सोचते चिंटू का पैर फिसला और बरसात में भरे हुए तालाब में छपाक की आवाज के साथ गिर पड़ा। हे ईश्वर उसे तो तैरना भी नहीं आता। उसने बचाओ बचाओ की आवाज लगानी चाही पर आवाज खो सी गई। अंधकार में सब कुछ गुम हो गया। तभी उसे अपने पेट पर कुछ दबाव महसूस हुआ उसने देखा उसकी प्रिय किताब उसके पेट को दबा कर उससे गंदगी निकालने का प्रयास कर रही है। उसने पेट में तीव्र पीड़ा महसूस की। यह क्या उसके पेट से पानी की जगह उछल- उछलकर सारे ऐप बाहर निकल रहे थे। थोड़ी देर तक तो वह दर्द से छटपटाता रहा किन्तु धीरे-धीरे उसे अच्छा लगने लगा। वह अपनी किताब को बचा लेने के लिए धन्यवाद दे रहा था।       

तभी मम्मी ने उसे झकझोर कर जगाते हुए कहा चिंटू जल्दी से हाथ मुँह धोकर नास्ता कर लो ऑनलाइन क्लास का समय हो गया है। ओह! तो यह एक बुरा सपना था!! बच गया मैं, चिंटू ने राहत की सांस लेते हुए ईश्वर को धन्यवाद दिया और मम्मी - पापा से क्षमा याचना करते हुए अपनी गलती स्वीकार की और फिर कभी मोबाईल के गलत उपयोग न करने का वादा किया। राधा ने उसका माथा चूमने हुए कहा “सुबह का भूला यदि शाम को वापस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते हैं।“ आज चिंटू बहुत खुश था, वास्तव में स्वयं को स्वस्थ और हल्का महसूस कर रहा था। आज उसके मस्तिष्क से अपराधबोध का बोझ भी उतर चुका था। 


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