मैं एक शिक्षका जीवन से जीवन की भाव और अनुभूतियों के पन्नों से बीन कर शब्दों के मोती अहसास के धागों में जीवन के कुछ पल पिरोती हूँ। हृदय की जमींन पर अनुभूतियों का फूल खिलाती हूँ
रिसता हुआ मवाद लाश को हाथ में उठाए ताण्डव करता अहंकार रिसता हुआ मवाद लाश को हाथ में उठाए ताण्डव करता अहंकार
बन बारिश की बूंदें जीवन को हरषाऊँ। बन बारिश की बूंदें जीवन को हरषाऊँ।
आँख मेरी अटक जा रही है देह की गंध मुझको कर रही बावला। आँख मेरी अटक जा रही है देह की गंध मुझको कर रही बावला।
उठो, आगे बढ़ो और तब तक बढ़ती रहो जब तक अपने दर्द की कटार से चीर न दो उन दरिन्दों उठो, आगे बढ़ो और तब तक बढ़ती रहो जब तक अपने दर्द की कटार से चीर न दो उन...
चलते चलते मैं भी थकती हूँ एक बार मुड़कर देख लेना यकीन मानो तरोताजा हो जाउँगी चलते चलते मैं भी थकती हूँ एक बार मुड़कर देख लेना यकीन मानो तरोताजा हो ज...
हे भारत ! दे सम्मान मुझे हिन्दी हूँ मैं ! हिन्दी हूँ मैं ! हे भारत ! दे सम्मान मुझे हिन्दी हूँ मैं ! हिन्दी हूँ मैं !