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Dr Bandana Pandey

Abstract Tragedy Others

4.5  

Dr Bandana Pandey

Abstract Tragedy Others

सुनो न

सुनो न

2 mins
417


सुनो न!!!!!

आज महिला दिवस है

तुम्हें याद है क्या वह दिन ??

जब मैं नहीं थी तुम्हारे साथ !!

न साथ नहीं तुम्हारे पीछे

तुमने मुड़ कर कभी नहीं देखा

शायद विश्वास था तुम्हें खुद पर

तुम जानते थे न 

तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नहीं

और तुम्हारे लिए यह 

घमंड की बात थी

पर मैं!! मैं तो तुम्हें पाकर 

गर्व से फूले न समाती थी।


सुनो न !!!!!!

तुम मेरी आशाओं के बरगद हो

मेरे ख़ुशियों के आंगन में

तुम ही तो चहक रहे हो

देखो न मेरी आंखों में

तुम्हारी ही उम्मीदों के

दीप जल रहे हैं

तुम्हारी थाली में

मेरे संतोष के पकवान महक रहे हैं


सुनो न!!!!

सूई की नोंक सम चुभता है

जब बधाई देते हो महिला दिवस की

मैं ईंट के मकानों में खो सी जाती हूँ

मुझे अपने हृदय का एक कोना दे दो 

मुझे बहुत अच्छा लगता है

जब कहते हो 

मेरी अनुगामिनी है

जानते हो तुम्हारे कंधों सा 

मजबूत दरख्त कोई दूजा 

ईश्वर ने बनाया ही नहीं

न ही तुम्हारी बांहों सा 

कण्ठहार बना है

तुम्हारी टोका टाकी से अच्छी

कोई पायल नहीं बनी है

हां सच कहती हूँ 


सुनो न!!!!

तुम्हारी प्रेमपूरित आँखें

जीवन देती हैं मुझे

पर तुम्हारी कामुक आँखें 

डराती हैं मुझे लजाती हैं मुझे

मैं मरती हूँ पल पल

खुद से ही नज़रें नहीं मिला पाती

कैसे दरिंदे को जन्म दे दिया

सोच कर आत्मा व्यथित होती है


सुनो न!!!!

चलते चलते मैं भी थकती हूँ

एक बार मुड़कर देख लेना

यकीन मानो

तरोताजा हो जाउँगी

तुम न मुझे निर्भया मत कहा करो

नहीं हूँ मैं निर्भया 

हो भी कैसे सकती हूँ

तुम बलात्कार करके भी 

दया की अपील कर सकते हो

और मैं मर कर भी 

कुल्टा कुलच्छनी ही कहलाउँगी

तो लोग क्या कहेंगे

यह डर भी तो मुझे ही सताता है न

जब तुम भागते हों सुख की खोज में

मुझे दर्द से बिलबिलाता छोड़ कर

कभी जन्म से पहले ही मार देते हो

कभी दहेज के नाम पर जला देते हो

कभी “औरत हो औरत की तरह रहो”

कहकर मेरी आत्मा को भी

लहूलुहान कर देते हो


सुनो न!!!

मत दो बधाइयाँ मुझे

आरक्षण भी नहीं चाहिए

घर बंगला गाड़ी नौकर

कुछ नहीं चाहिए मुझे

देना ही चाहते हो तो 

अपनी सोच में 

थोड़ी सी जगह दे दो

कर सके न कोई बाल बाँका 

यह निर्भय विश्वास दे दो

हर गली चौराहे से

आँगन और चौबारे से

मेरे चरित्र के प्रमाणपत्रों को

छापने वाली दुकान हटा लो

मैं खुश हूँ घर की लक्ष्मी बनकर

दुर्गा और काली बनने को

विवश मत करो न


सुनो न!!!

ये माँ बहन बेटी और महिला 

नाम के सारे दिवस तुम्हारे

बस तुम हमारे हो जाओ न



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