मौनगूंज
मौनगूंज
मौन गूंज
फिर एक मौन
हाहाकार भरा
उफनता पारावार
उठती गिरती
लहरों का शोर
अहसासों का
घनघोर कोलाहल
हठ की यज्ञाग्नि में
जलकर खाक होती कोमलता
दारूण दर्द की कराहटों से
रिसता हुआ मवाद
लाश को हाथ में उठाए
ताण्डव करता अहंकार
बर्फ बने भावों के
ऊँचे-ऊँचे शैल शिखर
इच्छाओं की चिताग्नि में
पिघल कर बहती
जल राशि
प्रलय या सृष्टि?????
