जो फ़र्ज़ को ही भुला दे वो प्यार ठीक नहीं
जो फ़र्ज़ को ही भुला दे वो प्यार ठीक नहीं
जो फ़र्ज़ को ही भुला दे वो प्यार ठीक नहीं
न ख़त्म हो जो कभी इन्तिज़ार ठीक नहीं
यहाँ किसी को भी दुनिया में सब नहीं मिलता
तो ख़्वाहिशें हों अगर बेशुमार ठीक नहीं
गुज़र चुका है बड़ा वक़्त अब भुला उसको
किसी पुरानी मोहब्बत का ख़ार ठीक नहीं
अभी तलक क्यों कदम तेरे डगमगाते हैं
बिना पिए ही चढ़ा ये ख़ुमार ठीक नहीं
ये राज दिल के कभी दोस्तों से मत कहना
किसी पे इतना अधिक ए'तिबार ठीक नहीं
बुरा समय ही बताता है कौन अपना है
न साथ दे जो ग़मों में वो यार ठीक नहीं
दुआ तेरी जो अगर वो कभी नहीं सुनता
खुदा से भी माँगना बार बार ठीक नहीं।
१२१२ २१२२ १२१२ ११२ /२२