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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Romance

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कुमार अविनाश (मुसाफिर इस दुनिया का )

Romance

उसकी रजा पर रख दिया

उसकी रजा पर रख दिया

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आँखों को इंतजार की भट्टी पर रख दिया!! 

मैंने दीये को आँधी की मर्जी पर रख दिया!! 


अब वो बुझाए या रोशन होने दे उसको!! 

यह सवाल भी मैंने उसकी मर्जी पर रख दिया!! 


तूफान चलते हैं और हवाएं मचलती है!! 

अपने घर का रोशन दान खुला रख दिया!! 


जमाना कहता है कि आँधियों से टकराना मत!! 

टकराने का यह हुनर भी उसके सामने रख दिया!! 


वो रम गई है मेरे दिलों दिमाग में कुछ ऐसे!! 

भूलना गर चाहो तो कलेजा हाथ में रख दिया!!


बेपनाह इश्क और बेपनाह मुहब्बत है उससे!! 

वो कुबूल करे या इनकार उसकी रजा पर रख दिया!! 



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