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AVINASH KUMAR

Romance

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AVINASH KUMAR

Romance

तुम्हारे लिए

तुम्हारे लिए

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यह जीवन मेरा रहा है समर्पित

हां बस तुम्हारे लिए।

अपनी इच्छाओं के पंखों को

अपने ही इन दोनों बाजुओं से

टुकड़ों में बांट बिखेरा है हमने

हां बस तुम्हारे लिए।

अरमान मेरे ना गगन को चुमू

इस धरा पर, तेरा होके जी लूं

आश में खुद को तराशा है हमने

हां बस तुम्हारे लिए।

कभी साथ लेकर कहीं चलने में

तकलीफ़ थी मुझे साथ रखने में

अपनी तौहीन तुझी से सहा है हमने

हां बस तुम्हारे लिए।

तुझे सबसे ज्यादा चाहा है हमने

तेरी सलामती ही मांगा है हमने

मिटा के खुद को जिलाया है हमने

हां बस तुम्हारे लिए।


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