जीवन की आपा धापी में
जीवन की आपा धापी में
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जीवन की आपा धापी में
कितने रिश्ते रूठ गए
बहुत संभाला बच ना पाए
मोह के बंधन छूट गए
कांच से निकले लोग यहां
चटके और फिर टूट गए
काम ना आया कोई जादू
जंतर मंतर फूंक गए
लंबी फ़ेहरिस्त रकीबो की
हम सच्चे होकर भी चूक गए
ना समझे वो प्यार कभी
क्यों फिर हमसे झूठ कहे
उनको अपना सब कुछ मान लिया
हम जानबूझ कर ठूंठ रहे
बंद आंखों से ख्वाब संजोया
आँख खुली और फूट गए
अब तन्हा तन्हा रहते है
लो तन्हाई से ऊब गए।